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Tuesday, October 26, 2010

भगवान तो हैं भाव के भूखे : पं. देवेश

मधुबनी। भगवान भाव के भूखे हैं, जो भी मनुष्य सच्चे मन से परमसत्ता की आराधना करते हैं उन्हें ही ईश्वर का सान्निध्य प्राप्त होता है। उक्त बातें स्थानीय सूड़ी हाई स्कूल के परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ में प्रवचन करते हुए मंगलवार को भागवत मर्मज्ञ वृंदावन निवासी बाल व्यास पं. देवेश दीक्षित ने कही। भागवत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ध्यानपूर्वक श्रीमद्भागवत का श्रवण करने से ही मानव तमाम सांसारिक दु:खों से मुक्ति पा जाता है। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला का चित्रण करते हुए उन्होंने कहा कि वे सदा भक्तों के प्रेमपाश में बंधे रहते हैं। प्रेम से ही सब कुछ प्राप्त करने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने अपने बाल लीला के क्रम में ही प्रेम को सर्वाेच्च स्थान दिया था। अपने भक्तों के लिए सदा अभयदानी मुद्रा रखने वाले भगवान कृष्ण ने राक्षसी तत्वों का नाश कर मानव लोक में प्रेममय वातावरण कायम किया था। उन्होंने प्रवचन सुन रहे लोगों को ध्यान पूर्वक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर उसे जीवन में उतारने की सीख दी

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