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Tuesday, October 26, 2010

यूनानी चिकित्सा के छात्र कर रहे एलोपैथिक इलाज

दरभंगा। आप मानें या न मानें लेकिन यह हकीकत है। भले ही अस्पताल एलोपैथिक चिकित्सा के लिए हो लेकिन कुछ रोगियों की नब्ज टटोलने के लिए यूनानी चिकित्सा के छात्र ही डाक्टर साहेब की भूमिका में रहते है। यह वाक्या और कहीं का नहीं बल्कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल अर्थात दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है। इतना ही नहीं यह बेमेल काम एक-दो दिन का नहीं बल्कि महीनों से चल रहा है। शकून सिर्फ यह रहा है इन यूनानी चिकित्सा के छात्रों के कदम मेडीसीन के विभाग के कई यूनिटों तक ही है। हालांकि इन छात्रों के हाथ कभी कभी इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों की नब्ज टटोलने के लिए बढ़ जाया करते हैं। एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग नीम हकीम से बचने के लिए अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाने पर जुटा हुआ है वहीं डीएमसीएच के इस मंसूबे पर पानी फेरने का काम कुछ वरीय चिकित्सकों के संरक्षण में चल रहा है। सूत्रों की भरोसा करें तो जिला के एक यूनानी मेडिकल कालेज के छात्र आउटडोर से लेकर इनडोर तक खुलेआम अपनी करतब के सहारे मरीजों की जान जोखिम में डाले हुये हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि यह सारा खेल कुछ दवा कंपनियों व दुकानदारों को लाभ पहुंचाने के लिए खेला जा रहा है। हद तो तब हो गयी जब ये छात्र मरीजों को देखने के बाद पूर्जे पर मनोनुकूल कंपनी की दवा लिखकर विशेष दुकान से ही दवा खरीदने की भी सलाह देते हैं। हालांकि अंदरखाने की इस खेल पर कई बार पीजी डाक्टरों ने आपत्ति भी जतायी लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात रहे और ये यूनानी छात्र अपने मंसूबे में अब तक कामयाब होते रहे। कुल मिलाकर देखें तो अति विश्वास के साथ एलोपैथ के माध्यम से इलाज कराने यहां पहुचने वाले मरीज राम भरोसे ही रह जाते हैं। मजेदार तो यह है कि मरीजों के साथ हो रहे इस खिलवाड़ की जानकारी रहने के बावजूद अस्पताल प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे रहा। हालांकि यूनानी छात्रों द्वारा मरीजों को देखे जाने की घटना से डीएमसीएच के पीजी डाक्टर एवं कई अन्य चिकित्सक भी खुद को असमंजस की स्थिति में पाते हैं। इधर, मंगलवार को अंदरखाने के इस खेल की तह में जाने पर जागरण को जो सबूत हाथ लगे उसकी पुष्टि की जब कोशिश की गयी तो अस्पताल प्रशासन ने पहले तो कन्नी काटने का प्रयास किया लेकिन जब सबूत के साथ बात को रखा गया तो डीएमसी के प्राचार्य डा. एसएन सिन्हा एवं मेडिसीन विभागाध्यक्ष डा. एके गुप्ता ने सिर्फ इतना ही कहा कि रिकार्ड की जांच की जायेगी और बुधवार को इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है। मेडिसीन विभागाध्यक्ष डा. गुप्ता ने माना कि गैर मेडिकल छात्रों का वार्ड में आने पर सख्त मनाही है। वहीं अस्पताल अधीक्षक डा. सूरज नायक ने कहा कि वार्ड में यूनानी छात्र की मौजूदगी व उनके द्वारा मरीजों को देखना एक गंभीर मामला है। इस मामले की पूरी तरह छानबीन की जायेगी और चिह्नित किये गये लोगों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी

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