रांची : पिछले चार दिनों की तरह मंगलवार को भी दूर गांव-देहात से सेना भर्ती में शामिल होने के लिए आए उम्मीदवारों को मायूस लौटना पड़ा। कारण था उनके पास आवासीय प्रमाण पत्र का नहीं होना।
मंगलवार को मायूस होकर लौटने वालों की संख्या 4380 थी, सेलेक्शन हुआ 670 का। ये सभी पलामू व गढ़वा जिले के थे। वैसे तो दौड़ के लिए सेलेक्शन नहीं होने का कारण प्री-हाइट, चरित्र प्रमाण पत्र व आवासीय प्रमाण पत्र आदि थे, लेकिन प्रतिदिन की तरह अधिकांशत: के पीछे आवासीय प्रमाणपत्र का नहीं होना या फिर सही नहीं पाया जाना था। इसके अलावा मंगलवार को प्री-हाइट टेस्ट में भी अनेक लोग बाहर हो गए।
दो वर्ष पहले सेना भर्ती के समय अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा निर्गत आवासीय प्रमाणपत्र व थानेदार द्वारा निर्गत चरित्र प्रमाणपत्र मांगा जाता था, लेकिन नियम बदले और इस बार डीसी द्वारा निर्गत आवासीय व एसपी द्वारा निर्गत चरित्र प्रमाणपत्र मांगा गया था। सरकार की लचर व्यवस्था के कारण किसी का समय पर प्रमाणपत्र नहीं बन पाया।
चयनित नहीं होने वाले कई छात्र बिहार के मोकामा में चल रहे बीएसएफ की बहाली में जाने की बात कर रहे थे। यानी देशसेवा की भावना ऐसी कि सरकारी पेंच के आगे नहीं हारेंगे।
पारदर्शी हो रही भर्ती प्रक्रिया
मंगलवार को भर्ती प्रक्रिया को देखने के लिए दानापुर से बिहार व झारखंड केजनरल रिक्रूटमेंट डिप्टी डायरेक्टर ब्रिगेडियर जीजे सिंह आए थे। भर्ती प्रक्रिया के दौरान वे उम्मीदवारों का उत्साह बढ़ा रहे थे। उन्होंने कहा कि भर्ती पूरी तरह पारदर्शी हो रही है।
भर्ती निदेशक कर्नल उमेश शर्मा ने बताया कि 22 अक्टूबर को दौड़ में शामिल उम्मीदवारों की मेडिकल जांच चल रही है। इसके बाद सभी की लिखित परीक्षा नवंबर या जनवरी में ली जाएगी
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