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Wednesday, October 27, 2010

डीएमसीएच प्रशासन ने माना, वो हमारे छात्र नहीं

दरभंगा। डीएमसीएच ओपीडी के मेडिसीन विभाग व वार्डो में यूनानी चिकित्सा के छात्रों द्वारा मरीजों को देखे जाने संबंधी जागरण में बुधवार को प्रकाशित खबर के बाद अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गयी है। वहीं डीएमसीएच प्रशासन ने जागरण की खबर को स्वीकारते हुये खबर के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों पर भी मुहर लगा दी है। इससे जाहिर हो चला कि जागरण ने जिस मामले को उजागर किया वह डीएमसीएच के प्रशासनिक उदासीनता के कारण अस्पताल में मापदंडों की धज्जियां उड़ती रही है। दरभंगा मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.एसएन सिन्हा ने बुधवार को अस्पताल अधीक्षक डा.सूरज नायक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित की है जिसे दो दिनों के भीतर अपना प्रतिवेदन सौंपना है।
जानकारी के अनुसार प्राचार्य डा. सिन्हा ने ओपीडी के मेडिसीन विभाग में मंगलवार को डाक्टर की कुर्सी पर बैठे छात्र को चिह्नित करते हुये स्वीकार किया कि वह डीएमसीएच का छात्र नहीं है। उन्होंने बुधवार को अपने कार्यालय में दस्तावेज का मिलान करने के बाद इसकी पुष्टि की। वहीं गैर मेडिकल छात्रों की मौजूदगी को लेकर डा.सिन्हा ने मेडिसीन वार्ड का जायजा लिया तथा इस बात पर नाराजगी जताते हुये मेडिसीन विभागाध्यक्ष डा. एके गुप्ता से भी वस्तुस्थिति की जानकारी हासिल की। उधर, खबर छपने के बाद डीएमसीएच में गैर मेडिकल छात्र वार्डो में नहीं दिखाई पड़े। नाम नहीं छापने के शर्त पर पीजी डॉक्टरों तथा इंट‌र्न्स ने खुशी जाहिर की है कि ऐसे गैर मेडिकल छात्रों पर पाबंदी जरूरी है। वहीं सूत्रों के अनुसार इस पूरे प्रकरण के पीछे दरभंगा तथा मधुबनी के दो बड़े पूर्व वरिष्ठ जनप्रतिनिधि की कथित पैरवी पर अस्पताल प्रशासन ने गैर मेडिकल छात्रों को ओपीडी में रहने की सहमति दे डाली थी जिसके आलोक में ये यूनानी चिकित्सा के छात्र महीनों से अस्पताल में मरीजों की जांच के साथ एलोपैथिक दवा लिख रहे थे। मरीजों को इन्ट्राकैथ समेत अन्य उपचार सामग्री भी लगाने का काम इन्हीं छात्रों के जिम्मे था। अस्पताल अधीक्षक डा. सूरज नायक ने बताया कि यूनानी छात्रों को अस्पताल के मरीजों की जांच करने को लेकर अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई आदेश निर्गत नहीं है। वहीं प्राचार्य डा. सिन्हा ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।
इत्तला होने के बाद लें दाखिला
दरभंगा। यदि आप डीएमसीएच के ओपीडी में इलाज कराने आये हैं तो पहले इस बात को लेकर इत्तला जरूर हो लें कि जो आपकी नब्ज टटोल रहा है या धड़कने गिन रहा है वह कहीं गैर चिकित्सक तो नहीं। इतना ही नहीं यह भी संभव है कि आप पहुंचे हो एलोपैथिक चिकित्सक से दवा लिखाने लेकिन लिखने वाले एलोपैथिक डाक्टर नहीं होकर महज यूनानी चिकित्सा का छात्र भर हो। मंगलवार को जागरण ने इस अंदरखाने की खेल से पर्दा हटाया तो पूरा स्वास्थ्य महकमा सकते में आ गया। वैसे सवाल उठता है कि आखिर इतने दिनों तक सबकुछ समझने के बाद भी डीएमसीएच प्रशासन ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। क्या वजह रही कि अब तक मरीजों के साथ खेल रहे इन छात्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। हालांकि मेडिसीन विभाग में जब प्राचार्य जायजा लेने पहुंचे तो वहां पहले से तैनात एक चिकित्सक ने भी इस बात को लेक र प्राचार्य से गहरी नाराजगी जतायी कि आखिर ये गैर मेडिकल यहां इतनों दिनों से कैसे जमे थे।

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