दरभंगा। विधान सभा चुनाव संपन्न होने के बाद एक बार फिर से नगर निगम में संविदा पर फर्जी बहाली का मामला जोर पकड़ने लगा है। सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों ने भी बैठक कर इस पर दो टूक निर्णय का मन बना लिया है। मिली जानकारी के अनुसार मेयर पर बैठक बुलाने के लिए कई सदस्य जोर दे रहे हैं और नगर आयुक्त के अवकाश से लौटने का इंतजार हो रहा है। उनके वापस आते ही बैठक की तिथि तय होने की संभावना है। बता दें कि नगर आयुक्त ने मेयर को स्थायी समिति की बैठक कर फर्जी बहाली मामले में निर्णय लेने के लिए लिखा है। इसके करीब एक माह होने को आये, लेकिन नगर आयुक्त के चुनाव में व्यस्त रहने से बैठक बुलाना संभव नहीं हो सका। अब मतदान खत्म हो गया है, लेकिन नगर आयुक्त अवकाश पर हैं। उनके लौटते ही इस दिशा में पहल होगी। उल्लेखनीय है कि विगत 20 अगस्त को ही फर्जी बहाली का मामला उस समय उजागर हुआ जब नगर निगम के लेखापाल ने नगर आयुक्त लक्ष्मेश्वर झा से शिकायत की कि 18 ऐसे संविदाकर्मियों की संचिका प्रधान लिपिक उठाकर ले गये जिनकी नियुक्ति संदिग्ध थी। इसको लेकर नगर आयुक्त ने नगर थाना में कांड सं. 121/10 दर्ज करवा दिया। जब पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो संचिकाएं आश्चर्यजनक ढंग से लेखा शाखा में ही मिल गयीं। इसी बीच यह भी छनकर बाहर आया कि संदिग्ध सभी 18 संविदाकर्मियों की नियुक्ति उस अवधि में पूर्व नगर आयुक्त के हस्ताक्षर से की गयी जब वे अवकाश पर थे। इधर, एसएसपी एम. आर. नायक की पहल पर डीएसपी ने अशफाक अंसारी ने 25 सितंबर को निगम पहुंचकर जांच की। उसी दिन नगर निगम की जांच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी जिसमें कुछ को छोड़ सभी कर्मियों की बहाली पर अंगुली उठायी गयी है। उधर, डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण रपट में पूर्व नगर आयुक्त को भी विधिवत कमेटी नहीं गठित कर मनमाने ढंग से निगम में 443 लोगों की संविदा पर हुई बहाली के लिए दोषी मानाते हुए गिरफ्तारी का निर्देश दिया। वहीं लेखापाल को संचिका पर गलत ढंग से तथ्य जोड़ कर भुगतान का दोषी पाया और प्रधान सहायक राकेश कुमार नियुक्ति संबंधी संचिका पर मेयर के आदेश के बाद अपना मंतव्य लिखे बिना नगर आयुक्त से हस्ताक्षर कराने के लिए दोषी बताया गया। इन सभी की गिरफ्तारी की बात पर्यवेक्षण रिपोर्ट में कही गयी है।
Search This Blog
Tuesday, October 26, 2010
Subscribe to:
Post Comments (RSS)
Komentar :
Post a Comment