दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के आधे दर्जन से अधिक पीजी डिग्री की मान्यता खतरे में है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के इंस्पेक्शन रिपोर्ट 09 के बाद भी सरकार सचेत नहीं हुई। इसी बात को लेकर एमसीआई की टीम वर्ष 2011 में डीएमसी का निरीक्षण करेगी। एमसीआई आगामी निरीक्षण में चिह्नित खामियों की पूर्ति का जायजा लेगी। इसको लेकर डीएमसी से लेकर पटना के स्वास्थ्य महकमें की चिंता बढ़ गयी है। गाज गिरने वाले विभागों में शिशु रोग विभाग,आंख रोग विभाग, चर्म रोग विभाग, टीबी एंड चेस्ट विभाग, मनोरोग विभाग शामिल हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार एमसीआई ने इंस्पेक्शन रिपोर्ट में 32.3 प्रतिशत प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर तथा ट्यूटर की कर्मियों को दर्शाया था। इस बीच यहां की कमियों में और इजाफा होता गया। इसके कारण कई विभागों में पीजी छात्रों को गाइड नहीं मिल पा रहा है। छात्र रिसर्च पर साइन कराने के लिए भी भटकते हैं। इसमें शिशु रोग, चर्म एवं यौन रोग विभाग के छात्रों की हालत और खराब है। वर्तमान में शिशु रोग विभाग प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर विहीन है। यही हाल चर्म रोग विभाग की है। मनोरोग विभाग में एक-एक प्रोफेसर तथा एसोसिएट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं। टीबी एंड चेस्ट वार्ड में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद को अभी तक नहीं भरा गया। रेडियोलॉजी विभाग में एमआरआई मशीन नहीं लगने के चलते पीजी डिग्री की मान्यता अटका हुआ है। इसके अलावा बायो केमेस्ट्री, एनाटॉमी, मेडिसीन, सर्जरी, ईएनटी, एनेस्थेसिया, दंत, गायनिक आदि विभागों में भी कई पद रिक्त पड़े हैं। प्राचार्य डा.एसएन सिन्हा ने बताया कि एमसीआई के निरीक्षण के पूर्व सभी पद भरने के लिए सरकार को पत्र भेजा जा चुका है। निरीक्षण के पूर्व एक भी पद खाली नहीं रहेगा। प्राचार्य ने इन विभागों में खाली पदों की पुष्टि की है
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Saturday, October 30, 2010
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