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Wednesday, October 27, 2010

असली-नकली बीजों की पहचाना मुश्किल है

शिवाजीनगर । शोधित व ब्रांडेड बीज के नाम पर कई बार धोखा खा चुके किसान इस वर्ष रबी फसल में दूध का छाछ भी फूंक कर पीना चाहता है। असली व नकली बीजों का पहचान करना किसानों के लिए आसान नही लग रहा है। शिवाजीनगर हथौड़ी, बाघोपुर, दसौत एवं रोसड़ा के बाजारों में घड़ल्ले से मिलावटी बीज बेची जा रही है। किसानों के सामने एक साथ कई दिक्कतें है। एक को बीज की उपलब्धता का संकट और दूसरा उपलब्ध बीज में नकली व असली की पहचान खरीफ की फसल सुखाड़ के चलते बर्बाद हो गई। रबी की फसल बुआई का समय है और किसानों में असमंजस की स्थिति कायम है। किसान बीज के पिछले मर्तबा के दगाबाजी से सहमे हुए है। प्रशासन इन दुकानदारों पर लगाम कसने को लेकर उदासीन है। किसानों की माने तो पिछले साल शोधित एवं ब्रांडेड कम्पनी के बीजों का इस्तेमाल किया बीज जमीन में डाले गए। फसल उगा भी लहलहाई भी लेकिन दाना निकालने के समय धोखा दे गई। फसलों में दाना नही आ पाये। बालियां काली पड़ गई। सूखे के कारण धान पर जो बज्जर पड़ा है। उससे किसानों का कलेजा काम ही नही कर पर रहा है। किसान कभी सोचते है कि सरकारी बीज ले कभी सोचते है कि न ले, प्रशासन की माने तो बीज की किल्लत व कालाबाजारी नहीं है। किसानों की सुने तो बीज आसानी से नही मिल पा रहा है। रबी फसलों में किसान सरसों, राई, मक्का आलू, केराई, मंसूर आदि की फसल के लिए खेतों की तैयारी कर चुके है। इधर सरकारी बीज किसानों को नही मिल पा रहें है। गिने चुने किसानों का नाम दर्ज है। फाइलों में जिन्हें हर वर्ष बीज दिया जा रहा है। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ साफ झलक रही है। किसानों के लिए सरकार द्वारा घोषित बीज वितरण योजना आधी आधा फंसाना साबित हो रहा है।

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