दरभंगा। जागरुकता ही एड्स से बचाव है। यह बातें डीएमसीएच के नर्सिग होम परिसर में आयोजित एक दिवसीय एड्स जागृतिकरण शिविर में उभरकर सामने आयी। शिविर के उद्घाटन के मौके पर डीएमसी के प्राचार्य डा. एसएन सिन्हा ने लोगों को एड्स से बचाव के लिए जागरुकता पर बल दिया। इसके लिये उन्होंने डाक्टरों को भी आगे आकर सहयोग करने की अपील की। डा. सिन्हा ने एड्स मरीजों के प्रति भेदभाव से बचने की सलाह दी। अस्पताल अधीक्षक डा. सूरज नायक ने कहा कि जागरुकता ही एड्स का इलाज है। एड्स मरीजों को छूने से यह रोग नहीं फैलता है। उन्होंने असुरक्षित यौन संबंध, बिना जांच के रक्त आदि से बचने को कहा। मेडिसीन के विभागाध्यक्ष डा. एके गुप्ता ने कहा कि डाक्टर भगवान नहीं, भगवान मरीज हैं। हरेक मरीजों की सेवा मेडिकल एथिक्स के अनुसार करें। एआरटी के डा. बीके सिंह ने सभी डाक्टरों को एड्स मरीजों के बीएचटी पर इमिनो कम्प्राइज दर्ज करें। एचआईवी को चिह्नित न करें। नार्को ने यह आदेश जारी किया है। फिजीशियन डा. प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि एचआईवी के विषाणु की आयु तीन घंटे की होती है। सर्जरी के डा. एके सिंह, ईएनटी के विभागाध्यक्ष डा. बीके राय समेत अन्य डाक्टरों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर अस्पताल उपाधीक्षक संतोष कुमार मिश्र, स्टाफ नर्स, उदय सिंह, जीएस झा उपस्थित थे।
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Tuesday, November 2, 2010
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