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Thursday, November 18, 2010

जिले में सिंचाई सुविधाओं का टोंटा

मधुबनी। जिले में लघु सिंचाई व उद्वह सिंचाई योजना पूर्णत ठप हो गई है। जिससे रबी की फसल की सिंचाई को लेकर किसान चिंतित हैं। समय पर यदि इन योजनाओं को दुरुस्त कर पानी देने लायक नहीं बनाया गया तो रबी की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। जिले में 222 राजकीय नलकूप है। जिसमें विभाग 65 के चालू रहने का दावा कर रहा है। लेकिन इन चालू 65 नलकूपों में से अधिकांश काम नहीं कर रहे। रहिका स्थित राजकीय नलकूप तकनीकी कारणों से पानी नहीं दे रहा है। वहीं कथित रूप से 65 चालू नलकूप भी नाला व अन्य कारणों से समुचित रूप से खेतों में पानी देने में असफल है। विभागीय अभियंता की माने तो 222 राजकीय नलकूपों में आधा दर्जन पूर्णत: असफल हैं तो कुछ सामान्य खराबी के कारण बंद पड़े हैं। कहना था कि इस बारे में उच्चाधिकारी के पास प्राक्कलन भेज गया गया है। स्वीकृति मिलते ही इसे ठीक करने का काम शुरू हो जाएगा। वहीं 106 उद्वह सिंचाई योजना का तो बुरा हाल है। 54 योजनाओं को पूर्ण कर उर्जान्वित भ किया गया। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में 50 योजनाएं ठप हो गई। वर्तमान में केवल चार योजनाएं भखरौली, बड़ी पोखर, पचही व सरिसव में अर्ध चालू हालत में हैं। झंझारपुर, जयनगर, बेनीपट्टी, रहिका लघु सिंचाई प्रमंडल के अधीन सिंचाई योजनाओं का हाल बुरा है।
इन राजकीय नलकूपों के ध्वस्त रहने से खरीफ मौसम में किसान धान की खेती नहीं कर सके और अब यही हाल रबी के मौसम में भी होने जा रहा है। जिस कारण किसानों में हताशा है। खाद-बीज सहित निजी सिंचाई सुविधा महंगी होने के कारण किसानों को गेहूं खेती करने में सौ बार सोचना पड़ रहा है

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