मधुबनी। सीमावर्ती व संवेदनशील जिला होने के बावजूद मधुबनी पुलिस अपने स्थापनाकाल से ही संसाधनों की कमी से जूझ रही है। जिले के स्थापनाकाल में मधुबनी के लिए पुलिस महकमा के विभिन्न पदों के लिए जितनी संख्या स्वीकृत की गयी,उसमें आज तक इजाफा नहीं हुआ। जबकि समस्याएं बढ़ती गई। पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ती गयी। सीमा पहले की तुलना में ज्यादा संवेदनशील हो गयी है। आइए हाल देखते हैं पुलिस लाइन का। पुलिस लाइन शुरुआत से ही दरभंगा राज के जर्जर किलानुमा भवन में किराया पर चल रहा है। बारिश में मकान चूता है। अंदर से छत के टुकड़े समय समय पर गिरते रहते हैं। दिन में भी अंधेरा छाया रहता है। पुलिस लाइन की घेराबंदी तक नहीं है। खुले आसमान के नीचे वाहनों के ठहराव की व्यवस्था है। मकान पर पेड़ उग आए हैं। हाल में पुलिस मैंस एसोसिएशन की ओर से पुलिस लाइन का बाहर से रंग-रोगन किया गया। बाहर से तो यह चकाचक लगता है लेकिन अंदर से खोखला है।
जवान की कमी : यह कमी सब दिन की है। जिले में स्वीकृत पदों के अनुरूप भी आरक्षी व पदाधिकारी नहीं हैं। जिले में सिपाही, हवलदार व एएसआई के लिए स्वीकृत संख्या क्रमश: 975, 194 व 124 है। उसकी जगह पर क्रमश: 725, 127 व 111 सिपाही, हवलदार व एएसआई कार्यरत हैं। शेष पद रिक्त है। सार्जेट का चारों पद रिक्त है। एस आई की पदस्थापना भी स्वीकृति के मुताबिक नहीं है। जिले की आबादी वर्तमान के तकरीबन 40 लाख के आसपास हो गई है। अगर आबादी व पुलिस बल का अनुपात निकाला जाए तो कहा जा सकता है कि 5517 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक जवान पर है।
थाने भी दुरुस्त नहीं : जिले के वर्तमान में 32 थानें हैं,जिसमें से 17 के पास ही अपना भवन है। शेष सरकारी व किराए के भवनों में चल रहे हैं। कई थाने तो झोपड़ी व एस्वेस्टस से बने मकान में चल रहे हैं। पंडौल, रुद्रपुर, रहिका, सकरी, सहारघाट, अंधराठाढ़ी,लखनौर व भैरवस्थान के लिए भवन निर्माण की स्वीकृति मिली है। बासोपट्टी, अरेर, खिरहर व खुटौना थाना को अपनी जमीन भी नहीं है। फुलपरास से नि.सं के मुताबिक अनुमंडल क्षेत्र के कुल छह थानों एवं एक ओ पी में चार को अपना मकान नहीं है। जिन तीन थानो ंको अपना मकान है,उसमें लौकही व फुलपरास की स्थिति दयनीय है। लौकही में थाना भवन की छत बरसात में रिसता है तो फुलपरास थाना परिसर का सतह नीचा होने से उसमें बारिश एवं बाढ़ का पानी घुस जाता है। फुलपरास सर्किल थाना तो है परंतु अधिकारियों एवं कर्मियों के आवासन हेतु वर्षो से बन रहा भवन आज भी अधूरा है। अब बर्बाद होने के कगार पर है। घोघरडीहा थाना टीसीपी सेंटर मे चल रहा है। तो खुटौना थाना पश्चिमी कोसी नहर के परित्यक्त मकान में अवस्थित है। अंधरामठ थाना व ललमनियां ओपी किराए के मकान में है। पुलिस निरीक्षक विजय प्रताप सिंह ने बताया कि अंधरामठ, खुटौना थाना एवं ललमनियां ओ पी हेतु भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव संबंधित अंचल अधिकारियों के पास लंबित है। बेनीपट्टी से नि.प्र के मुताबिक बेनीपट्टी अनुमंडल क्षेत्र के बेनीपट्टी, हरलाखी, मधवापुर थाना को ही अपना भवन है। बिस्फी थाना सरकारी जमीन पर एस्वेस्टस के मकान में, अरेर भाड़े के मकान में, खिरहर थाना सिंचाई भवन में, साहरघाट थाना खादी भवन में, पतौना व औंसी थाना झोपड़ी में चल रहे हैं। जयनगर से निज संवाददाता के मुताबिक जयनगर थाना भवन की कमी झेल रहा है। बासोपट्टी को अपना भवन तक नसीेब नहीं है। किराए के चदरानुमा भवन में चल रहा है। जयनगर, लदनियां व देवधा थाना को अपना भवन तो है लेकिन सभी पुराने हो गए हैं। मरम्मत की दरकार है। जयनगर थाना में मालखाना का घोर अभाव है,जिस कारण जब्त सामान यत्र-तत्र बिखरे रहते हैं। बासोपट्टी को अपना भवन आज तक नहीं मिल पाया है। पुलिस उपाधीक्षक शिवपूजन सिंह ने बताया कि बासोपट्टी थाना के जमीन व भवन के लिए प्रस्ताव सरकार के पास पूर्व से ही भेजा जा चुका है।
जवान की कमी : यह कमी सब दिन की है। जिले में स्वीकृत पदों के अनुरूप भी आरक्षी व पदाधिकारी नहीं हैं। जिले में सिपाही, हवलदार व एएसआई के लिए स्वीकृत संख्या क्रमश: 975, 194 व 124 है। उसकी जगह पर क्रमश: 725, 127 व 111 सिपाही, हवलदार व एएसआई कार्यरत हैं। शेष पद रिक्त है। सार्जेट का चारों पद रिक्त है। एस आई की पदस्थापना भी स्वीकृति के मुताबिक नहीं है। जिले की आबादी वर्तमान के तकरीबन 40 लाख के आसपास हो गई है। अगर आबादी व पुलिस बल का अनुपात निकाला जाए तो कहा जा सकता है कि 5517 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक जवान पर है।
थाने भी दुरुस्त नहीं : जिले के वर्तमान में 32 थानें हैं,जिसमें से 17 के पास ही अपना भवन है। शेष सरकारी व किराए के भवनों में चल रहे हैं। कई थाने तो झोपड़ी व एस्वेस्टस से बने मकान में चल रहे हैं। पंडौल, रुद्रपुर, रहिका, सकरी, सहारघाट, अंधराठाढ़ी,लखनौर व भैरवस्थान के लिए भवन निर्माण की स्वीकृति मिली है। बासोपट्टी, अरेर, खिरहर व खुटौना थाना को अपनी जमीन भी नहीं है। फुलपरास से नि.सं के मुताबिक अनुमंडल क्षेत्र के कुल छह थानों एवं एक ओ पी में चार को अपना मकान नहीं है। जिन तीन थानो ंको अपना मकान है,उसमें लौकही व फुलपरास की स्थिति दयनीय है। लौकही में थाना भवन की छत बरसात में रिसता है तो फुलपरास थाना परिसर का सतह नीचा होने से उसमें बारिश एवं बाढ़ का पानी घुस जाता है। फुलपरास सर्किल थाना तो है परंतु अधिकारियों एवं कर्मियों के आवासन हेतु वर्षो से बन रहा भवन आज भी अधूरा है। अब बर्बाद होने के कगार पर है। घोघरडीहा थाना टीसीपी सेंटर मे चल रहा है। तो खुटौना थाना पश्चिमी कोसी नहर के परित्यक्त मकान में अवस्थित है। अंधरामठ थाना व ललमनियां ओपी किराए के मकान में है। पुलिस निरीक्षक विजय प्रताप सिंह ने बताया कि अंधरामठ, खुटौना थाना एवं ललमनियां ओ पी हेतु भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव संबंधित अंचल अधिकारियों के पास लंबित है। बेनीपट्टी से नि.प्र के मुताबिक बेनीपट्टी अनुमंडल क्षेत्र के बेनीपट्टी, हरलाखी, मधवापुर थाना को ही अपना भवन है। बिस्फी थाना सरकारी जमीन पर एस्वेस्टस के मकान में, अरेर भाड़े के मकान में, खिरहर थाना सिंचाई भवन में, साहरघाट थाना खादी भवन में, पतौना व औंसी थाना झोपड़ी में चल रहे हैं। जयनगर से निज संवाददाता के मुताबिक जयनगर थाना भवन की कमी झेल रहा है। बासोपट्टी को अपना भवन तक नसीेब नहीं है। किराए के चदरानुमा भवन में चल रहा है। जयनगर, लदनियां व देवधा थाना को अपना भवन तो है लेकिन सभी पुराने हो गए हैं। मरम्मत की दरकार है। जयनगर थाना में मालखाना का घोर अभाव है,जिस कारण जब्त सामान यत्र-तत्र बिखरे रहते हैं। बासोपट्टी को अपना भवन आज तक नहीं मिल पाया है। पुलिस उपाधीक्षक शिवपूजन सिंह ने बताया कि बासोपट्टी थाना के जमीन व भवन के लिए प्रस्ताव सरकार के पास पूर्व से ही भेजा जा चुका है।
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