नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। अगले दो वर्षो के बाद आप क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर सकते हैं। यह इसलिए संभव होगा कि जून, 2012 तक सरकार क्रेडिट कार्ड भुगतान की प्रक्रिया को सत्यापित करने की भारतीय व्यवस्था लागू कर देगी। अभी इस काम में अमेरिका की दो कंपनियों वीजा और मास्टर कार्ड का वर्चस्व है। इनकी सेवा के बदले भारतीय बैंको को भारी-भरकम फीस देनी पड़ती है। इंडिया कार्ड के नाम से भारतीय क्रेडिट कार्ड भुगतान व्यवस्था के लागू होने के बाद भारतीय बैंकों को कम फीस देनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक वीजा और मास्टर कार्ड के स्थान पर भारत की अपनी क्रेडिट कार्ड व्यवस्था लागू करने की बात काफी दिनों से हो रही थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान इसमें जबरदस्त तेजी आई है। यह काम भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] की निगरानी में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम [एनपीसीआइ] कर रहा है। हाल के दिनों में वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की तरफ से आरबीआइ पर इस परियोजना को तेज करने का दबाव पड़ा है। गृह मंत्रालय सुरक्षा कारणों से दबाव बना रहा है तो वित्त मंत्रालय का मानना है कि क्रेडिट कार्ड को लेकर बैंकों की लागत कम होगी और साथ ही लेन-देन पर सरकार आसानी से नजर रख सकेगी।
वीजा और मास्टर कार्ड के मुख्य सूचना केंद्र [स्विच] विदेश में स्थित हैं। इससे भारत में क्रेडिट कार्ड से कोई भी खरीद-बिक्री होती है तो उसकी सूचना पहले विदेश स्थिति इन कंपनियों के केंद्र पर भेजी जाती है। फिर इसके सत्यापन को लेकर सूचना भारत में क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले वित्तीय संस्थान या बैंक को दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक विगत में कई बार ऐसा हुआ है कि सरकार ने क्रेडिट कार्ड भुगतान को लेकर जब विस्तृत जानकारी बैंकों से मांगी तो वे समय पर इसे नहीं उपलब्ध करा सके। इसके अलावा बैंक हर लेन-देन के लिए एक फीस मास्टर कार्ड व वीजा को देते हैं। यह लागत ब्याज दरों पर असर डालती है।
भारतीय कार्ड भुगतान व्यवस्था पर रिजंर्व बैंक की नजर भी रहेगी। इससे नियमन में आसानी होगी। सूत्रों के मुताबिक वीजा व मास्टर कार्ड का वर्चस्व लगभग पूरी दुनिया में है। इसे पहली बार गंभीर चुनौती चीन सरकार के चीन यूनियनपे [सीयूपी] ने दी है। मलेशिया की सरकार ने भी घरेलू व्यवस्था लागू की थी लेकिन उसे खास सफलता नहीं मिली। इन दोनों देशों के बाद भारत क्रेडिट कार्ड भुगतान का अपना ढांचा तैयार कर रहा है। बताते चलें कि ग्लोबल मंदी के बाद से देश में क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या में काफी तेज गिरावट आई है। लेकिन आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है। आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक मार्च, 2008 में देश में क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या 2.83 करोड़ थी जो मार्च, 2010 में घटकर 1.83 करोड़ हो गई है। हालांकि मास्टर कार्ड का आकलन है कि भारत में क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ेगा
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