रोसड़ा। रोसड़ा में गरीबों के खाद्यान्न पर माफियाओं की नजर पड़ गई है। खाद्यान्न का हो रहे बंदरबांट से ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी जन वितरण प्रणाली ही माफियाओं के चंगुल में जा फंसा है। सरकारी गोदाम से डीलरों के नाम निर्गत किया गया खाद्यान्न संबंधित गरीबों के बीच वितरण तो दूर जन वितरण प्रणाली की दुकान तक भी नहीं पहुंच शहर में ही यह कालाबाजारी को भेंट चढ़ जाता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पुलिस द्वारा दो माह के अंदर सैकड़ों क्विंटल सरकारी खाद्यान्न का जब्त करना है। इस दौरान कालाबाजार के उद्देश्य से रखा गया उक्त खाद्यान्न से संबंधित आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज कर जप्ती स्थान के मालिक को नामजद किया गया। लेकिन यह अनाज है किसका, यह बताने में विभाग या वरीय पदाधिकारी आज तक अक्षम हैं। बता दें कि 8 अगस्त को ढरहा गांव से पुलिस ने एक सौ बोरे चावल जब्त किया था। नवीन कुमार राय के दरवाजा से बरामद होना बताते हुये आपूर्ति पदाधिकारी सुमन कुमार राय द्वारा उनके विरुद्ध प्राथमिकी सं-149/10 दर्ज करायी गयी थी। पूछताछ में नवीन कुमार ने उक्त चावल को डीलर पवन कुमार सिंह का बताया था। लेकिन यह था किसका, आज भी विभाग के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुयी है। इसी प्रकार, विगत 19 अक्टूबर को थाना क्षेत्र के खैरा लालपुर में सिंहेश्वर साह के मकान एवं सामने ट्रैक्टर पर लदे 80 बोरे चावल और 49 बोरे गेहूं पुलिस द्वारा जब्त किया गया। इस मामले में भी मकान मालिक के विरुद्ध प्राथमिकी सं-198/10 दर्ज कर विभाग ने अपना पल्ला झाड़ लिया। बता दें कि दोनों मामले में अवैध कालाबाजारी के खाद्यान्न को पुलिस ने ही जब्त किया है। आज तक खाद्यान्न बेचने वाले सही व्यक्ति का नाम सामने नहीं आने से स्पष्ट है कि खाद्यान्न माफियाओं पर अंकुश लगाने में आपूर्ति विभाग पूर्णत: नकारा साबित हो रहा है।
इस संबंध में पूछे जाने पर अनुमंडलाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि उपरोक्त दोनों मामलों में पुलिस का अनुसंधान जारी है। वहीं जन वितरण प्रणाली एवं गोदाम की व्यवस्था पर जन वितरण प्रणाली एवं गोदाम की व्यवस्था पर प्रशासन की पैनी नजर है।
इस संबंध में पूछे जाने पर अनुमंडलाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि उपरोक्त दोनों मामलों में पुलिस का अनुसंधान जारी है। वहीं जन वितरण प्रणाली एवं गोदाम की व्यवस्था पर जन वितरण प्रणाली एवं गोदाम की व्यवस्था पर प्रशासन की पैनी नजर है।
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