वॉशिंगटन।। स्ट्रोक पेशंट्स के इमरजेंसी ट्रीटमेंट की राह अब ज्यादा आसान बन सकती है। एक नई स्टडी में पाया गया है कि स्ट्रोक पेशंट के ब्
जो पेशंट एक्यूट इसकेमिक स्ट्रोक यानी ऐसे स्ट्रोक से पीड़ित हो, जिसमें ब्लड क्लॉट (खून का थक्का) या दूसरी किसी रुकावट से ब्रेन में ब्लड फ्लो रुक जाता है तो उनका इलाज टीपीए से किया जा सकता है। टीपीए का मतलब टिश्यू प्लासमिनोजन ऐक्टिवेटर है जो जमे हुए थक्के को खत्म करके ब्लड फ्लो को फिर से चालू कर देता है।
हालांकि थक्का खत्म करने वाली दवा का इस्तेमाल स्ट्रोक की स्थिति बनने के करीब साढ़े चार घंटे के भीतर ही किया जा सकता है। अगर इसके बाद दवा दी जाती है तो उससे ब्रेन में ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। अब यूनिवर्सिटी ऑफ पैरिस के रिसर्चरों ने ताजा स्टडी में पता लगाया है कि एमआरआई रेडियॉलजिस्ट स्ट्रोक की टाइमिंग का सही-सही पता लगा सकते हैं। साथ ही यह भी पता लग सकता है कि पेशंट को टीपीए दी जानी चाहिए या नहीं। इससे डॉक्टर हर साल स्ट्रोक से मरने वाले हजारों लोगों को बचा सकते हैं
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