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Monday, November 8, 2010

कयामत का दिन

करवा चौथ साल में एक दिन आता है, लेकिन 'बेचारे' पुरुषों को सुकून के ढेर सारे घंटे दे जाता है। तब सारी नारीवादी ताकतें खत्म हो जाती है, जब दिन भर फास्ट

 के बाद शाम को नारियों को नर में चांद नजर आने लगता है। अब अगर सोच में इतना उलट-पुलट हो रहा है, तो दिल्ली का आज का सीन भी तो कम दिलचस्प नहीं होगा: 


मॉडर्न वुमन मानती हैं जमाना बदल गया है। महिलाएं पुरुषों के साथ बराबरी की बात करती हैं। पति को परमेश्वर कह दो, तो आप पुरुषवादी मानसिकता से ग्रस्त इंसान करार दिए जाते हैं। लेकिन क्या गजब है कि साल के एक दिन अपनी ऐसी तमाम मान्यताओं को वे ताक पर रख देती हैं। बेचारा पति अचानक से चंद घंटों के लिए परमेश्वर हो जाता है और पूरी दुनिया को अपने चरणों में सिमटता महसूस करता है। 

तो आज जब पुरुष महाशय पूजे जाएंगे, अपनी ठसक से दिल्ली को पूरे दिन भागती-दौड़ती दिल्ली बनाकर रखेंगे। शाम को जल्दी घर पहुंचने के लिए तमाम जरूरी काम कल पर टाल दिए जाएंगे या फिर आज का काम एडवांस में ही निबटा दिया गया होगा। 

करवा चौथ की वजह से काम टालने का एक बड़ा उदाहरण इस समय दिल्ली में चल रहा विल्स लाइफ स्टाइल फैशन वीक पेश कर चुका है। दरअसल, मंगलवार शाम, (यानी चांद देखकर व्रत खत्म करने के समय) को जितने भी शो थे, कैंसल कर दिए गए। अब ये शो बाद में होंगे। जाहिर है, एक-एक मिनट का हिसाब रखने वाले इस इवेंट में ऐसा कुछ हो सकता है, तो ऑफिसों में निबटाए जाने वाले रूटीन वर्क की क्या बिसात है? 

ऐसे में आज सेक्रेटरी तो फटाफट काम निबटाकर घर निकलेंगी ही, काम के मारे बेचारे पुरुष बॉस भी कम हड़बड़ी में नहीं होंगे। एक एमएनसी के सीईओ रजनीश धर कहते हैं, 'इसे तो नैशनल हॉलिडे होना चाहिए। कहने को लोग काम पर आते हैं, लेकिन ऑफिस का माहौल अघोषित छुट्टी का होता है। पिछले फ्राइडे ही हमारे एंम्प्लॉई ने हमें जता दिया था कि ट्यूजडे को कुछ भी अर्जेंट काम न रखा जाए, फिर चाहे वह इंटरनल मीटिंग हो या फिर क्लाइंट के साथ। जाहिर है, मामला इमोशन का है, तो आप ना नहीं कह सकते। फिर अंदर की बात तो यह है कि मुझे खुद शाम को जल्दी से जल्दी घर पहुंचने की हड़बड़ी रहेगी।' 

हवा हुए मंडे ब्लूज 

वैसे, काम करने वालों ने अपनी ओर से उस्तादी भी कम नहीं दिखाई है। आम तौर पर लोग मंडे ब्लूज से ग्रस्त रहते हैं, लेकिन जो काम अर्जेंट हैं, करवा चौथ की वजह से वह ज्यादा पेन लेकर मंडे को ही निबटा दिए गए। चाहे इसके लिए जल्दी ऑफिस पहुंचकर देर रात तक भी क्यों न रुकना पड़ा। 

एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर राघव कहते हैं, 'रूटीन वर्क तो बाद में भी हो जाएंगे, लेकिन अर्जेंट वर्क निबटाने में हमारे यहां के लोगों ने गजब की फुर्ती दिखाई है। मंडे ब्लूज का तो मुझे कहीं असर ही नहीं दिखा। सब अपने-अपने कामों में मुस्तैद थे और ट्यूजडे वाले काम को लेकर तो खासतौर पर उन्होंने दिलचस्पी दिखाई। अगर हो सका, तो उन्होंने उनमें से कुछ काम मंडे को ही निबटा लिए।' 

नो रोड रेज प्लीज! 

जाहिर है, शाम को सबको जल्दी घर पहुंचने की हड़बड़ी रहेगी। तो शांतिप्रिय दिल्लीवालों का तमाम पतियों के नाम एक खास संदेश भी है। और वह संदेश है- नो रोड रेज प्लीज! आपको हड़बड़ी होगी, लेकिन सामने वाला भी कम हड़बड़ी में नहीं होगा। इसलिए अगर कार में डेंट पड़ जाए, छोटी-मोटी टक्कर हो जाए या फिर पीछे आ रही गाड़ी का ड्राइवर जोर-जोर से हॉर्न बजाकर साइड मांगे, तो प्लीज गर्म मत होइएगा। बस इतना सोचिएगा कि आप ही की तरह घर में उसका भी कोई इंतजार कर रहा है

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