दरभंगा। दीपावली की चहल-पहल शुरू होते ही शहर से लेकर गांव तक पटाखों की दुकानें सजने लगती हैं। पूर्व से चल रहे अन्य कारोबारों का हिस्सा यह बन जाता है। इतना ही नहीं जो किसी चीज का व्यवसाय नहीं करते, लेकिन अन्य मेलों की तरह सड़कों पर चौकी लगाकर इसका कारोबार चलाने लगते हैं। इन कारोबारियों की तादाद को गिनना बूते से बाहर है। वहीं इस कारोबार को यदि कानून की कसौटी पर देखा जाय तो प्रावधान के साथ खुला मजाक ही सामने आयेगा। सरकारी आंकड़ों के तो अनुसार पूरे जिला में पटाखा बेचने की अनुमति मात्र 30 कारोबारियों को दी गयी है, वह भी मात्र तीन थाना क्षेत्र के तीस व्यापारियों को। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और देखने को मिल रहा है। स्थिति ऐसी कि जिला में पटाखा बेचने वालों की गिनती करना भी आसान नहीं है। वहीं बेचने वाले जिला के सभी थाना क्षेत्रों में अनगिनत मिल जायेंगे। यह कारोबार प्रशासन व पुलिस के सामने बेरोकटोक चल रहा है, लेकिन इस ओर तहकीकात करना कोई भी मुनासिब नहीं समझता। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तो जिला में मात्र 30 लोगों को पटाखा बेचने की अनुज्ञप्ति मिली हुयी है। इसमें सबसे अधिक 23 अनुज्ञप्ति दरभंगा नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत निर्गत है। इसके बाद लहेरियासराय थाना क्षेत्र में पांच तथा बहादुरपुर थाना क्षेत्र में दो लोगों के नाम से अनुज्ञप्ति निर्गत है। पूरे जिला में 30 अनुज्ञप्तिधारियों को ही पटाखा बेचने की अनुमति है, इसमें भी वर्ष 2008 के बाद से नयी अनुज्ञप्ति नहीं दी गयी है। लेकिन कारोबार की स्थिति ऐसी है कि जिला के प्रत्येक गांव में दर्जनों कारोबारी मिल जायेंगे। इसी तरह शहर की सभी बाजारों में इसे खुलेआम बेचा जा रहा है। हालांकि शहर के कई छोटे कारोबारी अनुज्ञप्तिधारी की बैशाखी पर ही खुदरा बिक्री करने के लिए दुकान सजा लेते हैं। कभी कभार जांच पड़ताल के दौरान वे लाईसेंसी दुकान की शाखा होने का हवाला देकर बच निकलते हैं। इतना हीं बिकने वाले इन पटाखों के स्वरूप एवं क्षमता में सरकारी प्रावधान को किनारा कर दिया जाता है
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Tuesday, November 2, 2010
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