बाबूबरही (मधुबनी), निप्र : एक सितार के तारों के अनोखे स्पंदन से इलाकों में अब दिव्य सुवास नहीं विखरेगी। इनके जाने माने सिद्धहस्त वादक सीमा क्षेत्र के बिठौना ग्राम बासो साधक गुरु श्याम सुंदर दास 70 वर्ष बुधवार सुबह सदा सदा के लिए अर्न्तलीन हो गए। इस बात की खबर सुनते ही इनके अनुयायियों का जमावड़ा कमला बलान व सोनी नदी के कोख में अवस्थित इनकी कुटी पर लगने लगी है। मिली जानकारी के अनुसार अंधराठाढ़ी थाना क्षेत्र के बिठौनी ग्राम निवासी पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबीबी डिग्री हासिल कर मधुबनी में वकालतन प्रारंभ की थी। कुछ ही दिनों में इन पेशे में काफी सोहरत हासिल की। किन्तु अचानक माने तो बचपन से ही इनमें भजन, कीर्तन, सितार व बांसुरी वादन से इनका लगाव था। श्री राम के कथा जीवन से संबंधित रामचरित्र मानस का अंग्रेजी अनुवाद समेत आधे दर्जन प्रकाशित व अप्रकाशित ग्रंथ इन्होंने लिखी है। बिहार समेत अन्य प्रदेशों तथा पड़ोसी देश नेपाल में भी ये कथा वाचन को जाते थे। इनके कथा, बांसुरी व सितार वादन से श्रोता भक्तिरस में भीग जाता तथा हृदय निस्तब्ध बना जाता था।
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Thursday, June 23, 2011
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