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Friday, October 22, 2010

अलग राज्यक माँग कतेक सार्थक !!

ओना तs हमर स्वभाव अछि हम नहि लोक के उपदेश दैत छियैक आ नहि अपन मोनक भावना लोकक सोझां में प्रकट होमय दैत छियैक । हम सुनय सबकेर छियैक मुदा हमरा मोन में जे ठीक बुझाइत अछि ओतबा धरि करैत छियैक। एकर परिणाम इ होइत अछि जे हमरा सलाह देबय वाला केर कमी नहि छैक। सब के होइत छैन्ह जे ओ जे कहताह कहतिह से हम अवश्य मानि लेबैन्ह।अपन अपन भावना केर हमरा पर थोपय के कोशिश बहुत लोक करय छथि। परोपदेश देनाइयो आसान होइत छैक । मुदा हमर भलाई केर विषय में के सोचि रहल छथि इ ज्ञान तs हमरा अछि । मुदा दोसराक विचार सुनालाक किछु फायदा सेहो छैक। लोकक विचार सुनि अपन विचार व्यक्त करय में आसानी होइत छैक आ आत्म विशवास सेहो बढैत छैक।

एकटा कहबी छैक “कोठा चढ़ी चढ़ी देखा सब घर एकहि लेखा ” सब ठाम कमो बेसी एके स्थिति छैक, मुदा दोसरा केर विषय में कम बुझय में, आ देरी सs बुझय में आबैत छैक, अपन तs लोक के सबटा बुझल रहैत छैक। पारिवारिक हो सामाजिक हो वा देशक, सब ठाम आपस में विचार में मतान्तर होइत रहैत छैक जे कि मनुष्य मात्र के लेल स्वाभाविक छैक आ हेबाक सेहो चाहि । जखैन्ह दस लोकक विचार होइत छैक तs ओहि में किछु नीक किछु अधलाह सेहो विचार सोंझा में आबैत छैक। मुदा आजु काल्हि सब ठाम स्वार्थ सर्वोपरि भs जाइत छैक । लोक के लेल देश समाज सs ऊपर अपन स्वार्थ भs गेल छैक।
संस्था व न्यास केर स्थापना होइत छैक समाज आ संस्कृति केर उत्थानक लेल । मुदा संस्थाक स्थापना भेलैक नहि कि ओहि संस्थाक मुखिया पद आ कार्यकारणी में सम्मिलित होयबाक लेल राजनीति शुरू भs जाइत छैक । एकटा संस्था में कैयैक टा गुट बनि जाइत छैक । आ ओहि में सदस्य ततेक नहि व्यस्त भs जाइत छथि कि हुनका लोकनि के सामाजिक कार्य आ संस्कृति के विषय में सोचबाक फुर्सते कहाँ रहैत छैन्ह । आ ताहू सs जौं बेसी भेलैक आ बुझि जाय छथि जे आब हुनक ओहि ठाम चलय वाला नहि छैन्ह तs एक टा नव संस्था केर स्थापना कs लैत छथि। सामाजिक कार्य केर नाम पर साल में एकटा वा दू टा सांस्कृतिक कार्यक्रम कs लैत छथि आ बुझैत छथि समाज केर उद्धार कs रहल छथि । ओहि कार्यक्रम में पैघ पैघ हस्ती , नेता के बजा अपन डंका बजा लैत छथि।बाकि साल भरि गुट बाजी आ साबित करय में बिता दैत छथि जे हुनक कार्यकाल में कार्यक्रम बेसी नीक भेलैक। हम मानय छियैक जे कार्यक्रम अपन संस्कृति केर आइना होइत छैक, मुदा ओ तs स्थानीय कलाकार के मौक़ा दs कs सेहो करवायल जा सकैत छैक। इ कोन समाजक उत्थान भेलैक जे लोक सs मांगि कs कोष जमा कैल जाय आ मात्र कार्यक्रम में खर्च कs देल जाय। बहुतो एहेन बच्चा शहर वा गाम में छथि जे मेधावी रहितो पाई के अभाव में आगू नहि पढि पाबय छथि। दवाई केर अभाव में कतेक लोकक जान नहि बचा पाबय वाला परिवारक मददि केनाई समाजक उद्धार नहि भेलैक? आय काल्हि तs लाखक लाख खर्च करि कs एकटा कार्यक्रम कैल जाइत छैक। कहय लेल हम ओहि महान हस्ती केर पर्व मना रहल छी। कार्यक्रम करू मुदा कि अपन गाम शहर के भूखल के खाना खुआ तृप्त कs ओहि महान हस्ती के श्रद्धाँजलि नहि देल जा सकैत छैक। इ तs मात्र एक दू टा समाज के सहायतार्थ काज भेलैक ओहेन कैयैक टा सामाजिक काज छैक जे कैल जा सकय छैक । यदि सच में लोक के अपन समाज आ संस्कृति सs लगाव छैन्ह तs जतेक कम संस्था रहतैक ततेक नीक काज आ समाजक उत्थान होयतैक। ओहि लेल मोन में भावनाक काज छैक नहि कि दस टा संस्थाक ।
देश में नित्य नव नव राज्यक माँग भs रहल अछि। ओहि में मिथिलांचलक माँग सेहो छैक। हमरा सँ सेहो बहुत लोक पूछय छथि “अहाँ मिथिला राज्य अलग हेबाक के पक्ष में छी कि नहि “? हम एकहि टा सवाल हुनका लोकनि सँ पूछय छियैंह “कि राज्य अलग भेला सँ मिथिलाक उत्थान भs जेतैक “? इ सुनतहि सब के होइत छैन्ह हम मैथिल आ मिथिलाक शुभ चिन्तक नहीं छी। बुझाई छैन्ह जे अलग राज्य बनि गेला सँ मिथिलांचलक काया पलट भs जेतैक । एक गोटे जे अपना के मिथिला के लेल समर्पित कहय छथि, साफ़ कहलाह “मैथिल के मोन में मिथिला के लेल जे प्रेम हेतैक से दोसरा के नहि” । हमर हुनका सँ एकटा प्रश्न छल “कि पहिने बिहार में मैथिल मुख्य मंत्री, मंत्री नहि भेल छथि “? जवाब भेंटल ” ओ सब मैथिल छलथि मिथिलाक नहि”। अलग राज्य भेलाक बाद जे कीयो मुख्य मंत्री होयताह ओ मिथिलाक होयताह आ मात्र मिथिला के लेल सोचताह ।
हमरा इ बुझय में नहि आबैत अछि जे लोकक मानसिकता के कोना बदलल जा सकैत छैक ? एखैंह ओ दरभंगा के छथि , ओ सहरसा के …..ओ मुंगेर के छथि ….कि अलग राज्य भेला सँ आदमी केर मानसिकता बदलि जेतैक …..कि दरभंगा , सहरसा आ कि मुंगेर वाला भेद भाव मोन में नहि औतेक ? आ जौं इ भेद भावना रहतैक तs सम्पूर्ण राज्यक विकास कोनाक भs सकैत छैक ? कि मिथिलाक होइतो ओ सम्पूर्ण मिथिला केर विषय में सोचताह ?
छोट छोट राज्य नीक होइत छैक , ओकर पक्ष में हमहू छी मुदा बिना राज्यक बंटवारा केने सेहो बहुत काज कैयल जा सकैत छैक, जौं करय चाहि तs । ओना सब अपन स्वार्थ सिद्धि में लागल रहय छथि इ अलग गप्प छैक। कि नीक स्कूल कॉलेज कारखाना के लेल बिना राज्य अलग बनने प्रयास नहि कैयल जा सकैत छैक? कि मात्र मिथिला राज्य बनि गेला सँ मिथिलाक उद्धार भs जयतैक ? मिथिला राज्यक अलग हो ताहि आन्दोलन में अनेको लोक सक्रीय छथि , मुदा हुनका लोकनि सs एकटा प्रश्न …….ओ सब आत्मा सs पुछथि कि ओ सब मात्र राज्य आ समाज के लेल सोचय छथि कि हुनका लोकनि के मोन में लेस मात्र स्वार्थक भावना नहि छैन्ह ?
कैयैक टा राज्य अलग भेलैक अछि मुदा बेसी केर स्थिति पहिने सs बेसी खराब भs गेल छैक, झारखण्ड ओकर उदाहरण अछि । खनिज संपदा सँ संपन्न राज्यक स्थिति बिहार सs अलग भेलाक बाद आओर खराब भs गेल छैक। एहि राज्य में नौ साल के भीतर सात टा मुख्यमंत्री बनि चुकल छथि । लोक के उम्मीद छलैक जे १० साल के भीतर एहि राज्य केर उन्नति भs जयतैक। उन्नति भेलैक अछि, मुदा राज्य केर नहि नेता सब केर । चोर उचक्का खूनि सब नेता भs गेल छथि आ पैघ सs पैघ गाड़ी में घुमि रहल छथि , देश आ जनता केर संपत्ति केर उपभोग कs रहल छथि इ कि उन्नति नहि छैक ?

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